» » » नूरजहां का तो मतलब ही है- 'संसार को रोशन करना -मन की बात

कानपुर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने कार्यक्रम 'मन की बात' में जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा जैसे मुद्दों पर बात की। इस दौरान उन्होंने कानपुर की एक महिला नूरजहां का भी जिक्र किया, जिन्होंने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण काम किया है। नूरजहां के बारे में बताते हुए पीएम ने कहा, ''कानपुर में नूरजहां नाम की एक महिला हैं। टीवी पर देखने से नहीं लगता है कि उन्हें ज्यादा पढ़ने का सौभाग्य मिला है। हालांकि, वह ऐसा काम कर रही हैं, जो शायद किसी ने सोचा भी नहीं होगा। जलवायु परिवर्तन के लिए विश्व के बड़े-बड़े लोग क्या-क्या करते होंगे, लेकिन नूरजहां शायद हर किसी को प्रेरणा देने का काम कर रही हैं। वैसे भी नूरजहां का तो मतलब ही है- 'संसार को रोशन करना।' इस काम के द्वारा वह रोशनी फैला रही हैं। मैं नूरजहां को बधाई देता हूं।" बता दें कि नूरजहां सौर ऊर्जा का इस्तेमाल कर करीब 50 घरों को रोशन कर रही हैं।

Noor jahan-kanpur-solar-energy
50 गरीबों का घर रोशन कर रही हैं नूरजहां
बताते चलें, नूरजहां अंधेरे से जंग लड़कर अपना नाम रोशन कर रही हैं। उन्होंने श्रमिक भारती संस्‍था की मदद से सौर ऊर्जा से चलने वाली लालटेन का प्लांट लगाया है। 100 रुपए महीने किराए पर वे लोगों को लालटेन देती हैं। शाम होते ही गांववाले लालटेन ले जाते हैं और सुबह आकर फिर चार्ज करने के लिए दे जाते हैं। गांव के करीब 50 लोग रोज नूरजहां से सौर ऊर्जा से जलने वाला लालटेन लेते हैं। इसे चार्ज करने में 3-4 रुपए का खर्च होता है, लेकिन घर में अंधेरा नहीं रहता। नूरजहां दिनभर इन लालटेनों को सोलर एनर्जी से चार्ज करने का काम करती हैं।
ऐसी रही है नूरजहां की जिंदगी
कानपुर देहात के शिवली थाना अंतर्गत बेरी दरियावां गांव की रहने वाली 75 साल की नूरजहां बताती हैं, ''पति की मौत पर मैं खूब रोई। इसलिए नहीं कि वो मुझे छोड़ कर चले गए, बल्कि इसलिए कि सात बच्चों की जिम्मेदारी मेरे ऊपर आ गई थी। बच्चों के परवरिश की चिंता थी। मेरे पास न जमीन थी, न छत था और न ही रुपया। किसी तरह पांचों बच्‍चों को एक टाइम का खाना खिलाती थी। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण किसी बच्चे को पढ़ा न सकी। आज पांचों लड़के दिहाड़ी-मजदूरी का काम करते हैं। सबसे छोटे बेटे को छोड़कर सबकी शादी हो गई है और सब अपने-अपने परिवार के साथ पास के गांव में ही रहते हैं। आज मेरे हालात ठीक हैं। हमारे घर में दोनों टाइम चूल्हा जलता है। बुढ़ापे की जिंदगी अब थोड़ी आराम से कटने लगी है।''
श्रमिक भारती संस्‍था ने की मदद
dainikbhaskar.com की टीम से बातचीत में नूरजहां ने बताया, ''सोलर लालटेन का काम उन्‍होंने तीन साल पहले शुरू किया था। इस काम को शुरू करवाने में श्रमिक भारती संस्था ने उनका भरपूर सहयोग किया। श्रमिक भारती की राधा शुक्ला ने ही सोलर लालटेन के विषय में मुझे बताया था, लेकिन मेरे सामने सबसे बड़ी समस्या मेरी आर्थिक स्थिति थी। जिस पर राधा शुक्ला ने मेरी गरीबी और उम्र को देखते हुए न केवल सोलर पैनल का इंतजाम करवाया, बल्कि 50 ऐसे लालटेन दिलवाए जो सौर ऊर्जा से चार्ज हो जाते हैं। इसके बाद मैंने अपने घर के छत पर पांच सोलर पैनल लगाए। कमरे में सभी लैंप को चार्ज करने के लिए तार से लेकर बैटरी तक लगाए गए। इस पूरे सेटअप में श्रमिक भारती ने एक रुपया भी नहीं लिया, लेकिन मैं लालटेन से होने वाली कमाई का 50 फीसदी हिस्सा श्रमिक भारती को देती हूं।''
एक सौर लालटेन का लेती हैं 100 रुपए किराया
नूरजहां कहती हैं कि जब इस काम की शुरुआत की थी तो पांच से छह लोग ही लालटेन लेने आते थे। ये सिलसिला करीब तीन-चार महीने तक चला। इसके बाद उनके बेटों ने गांव गांव घूमकर प्रचार-प्रसार करना शुरू कर दिया। इसका काफी असर हुआ। सालभर के अंदर नूरजहां के करीब 45 सौर लालटेन किराए पर लग गए। लोग शाम छह बजे लालटेन ले जाते हैं और सुबह दस बजे तक चार्ज करने के लिए छोड़ जाते हैं। एक लालटेन का एक महीने का किराया 100 रुपए है। महीने में कुल 4500 रुपए मिलते हैं। इसमें से दो हजार रुपए वो श्रमिक भारती संस्था को दे देती हैं। बाकी बचे ढाई हज़ार रुपए नूरजहां अपने पास रखती हैं, जिससे उनके घर का खर्च चलता है।
'काछु होई त ना'
रविवार को रेडियो पर पीएम मोदी द्वारा नाम लेने के बाद नूरजहां के घर पर कानपुर नगर भाजपा कमिटी के जिलाअध्यक्ष सुरेंद्र मैथानी पहुंच गए। उन्‍होंने नूरजहां को पीएम मोदी की तस्‍वीर का एक मेमोंटो दिया। साथ ही एक शॉल ओढ़ाकर सम्मानित भी किया। वहीं, पीएम द्वारा नाम लिए जाने से नूरजहां और उनके बच्चे बेहद खुश हैं। घर में अचानक मीडिया और नेताओं की भीड़ देखकर उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करें। नूरजहां ने तो मीडिया को देख पूछ भी लिया, ''हमरौ फोटू आई, मोदी जी के पास हमर फोटू लेजईहो का। भैया काछु होई त ना ही।''

नोट: यह पोस्ट न्यूज़ दैनिक भास्कर से लिया गया है| 

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